ब्रह्माण्ड और समय की धारणा ( ASTRO QUANTUM PHYSICS, time and space ) PART - 1

व्रह्मांड और समय की धारणा(ASTRO  QUANTUM PHYSICS , time and space ) PART-1
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ध्यान से पड़े अच्छा लगेगा ईश्वर की अद्भुत सृष्टि को जानकर और ये वैदिक ''समय का सही निर्णय'' आपको हमारे प्राचीन सनातन धर्म की प्रति श्रद्धा और आस्था को बनाये रखेगा।

आपको गर्व अनुभव होगा के हम अति प्राचीन ज्ञान के एकमात्र धारक सनातन धर्मीय परिवार में जन्म लिए है।

भारतवर्ष में जन्म लिए है।

आज के वैज्ञानिक समय कैसे नाप ते है?

पिकोसेकेण्ड
नैनो सेकेण्ड
माईक्रो सेकेण्ड,
सेकेण्ड
60 सेकेण्ड मे 1 मिनट,
60 मिनट मे 1 घन्टा,
24 घन्टे मे 1 दिन,(पृथ्वी के आपनी धुरी पर घुमना)
30 दिन मे 1 माह
12 माह मे 1 साल या वर्ष ।(पृथ्वी का सुर्य को एक वार परिक्रमण करना)

वस?

अव वेद मे आते है।
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

*1 परमाणु = काल की सबसे सूक्ष्मतम अवस्था
*2 परमाणु = 1 अणु
*3 अणु = 1 त्रसरेणु
*3 त्रसरेणु = 1 त्रुटि
*10 ‍त्रुटि = 1 प्राण
*10 प्राण = 1 वेध
*3 वेध = 1 लव या 60 रेणु
*3 लव = 1 निमेष
*1 निमेष = 1 पलक झपकने का समय
*2 निमेष = 1 विपल (60 विपल एक पल होता है)
*3 निमेष = 1 क्षण
*5 निमेष = 2 सही 1 बटा 2 त्रुटि

*2 सही 1 बटा 2 त्रुटि = 1 सेकंड या 1 लीक्षक से कुछ कम।
*20 निमेष = 10 विपल, एक प्राण या 4 सेकंड
*5 क्षण = 1 काष्ठा
*15 काष्ठा = 1 दंड, 1 लघु, 1 नाड़ी या 24 मिनट
*2 दंड = 1 मुहूर्त
*15 लघु = 1 घटी=1 नाड़ी
*1 घटी = 24 मिनट, 60 पल या एक नाड़ी
*3 मुहूर्त = 1 प्रहर
*2 घटी = 1 मुहूर्त= 48 मिनट
*1 प्रहर = 1 याम
*60 घटी = 1 अहोरात्र (दिन-रात) (पृथ्वी के आपनी धुरी पर घुमना )

*15 दिन-रात = 1 पक्ष
*2 पक्ष = 1 मास (पितरों का एक दिन-रात)
*कृष्ण पक्ष = पितरों का एक दिन और शुक्ल पक्ष = पितरों की एक रात।
*2 मास = 1 ऋतु
*3 ऋतु = 6 मास

*6 मास =  उत्तरायन  (देवताओं का एक दिन-)वाकि 6 मास दक्षिणायण(देवता की रात)

*2 अयन = 1 वर्ष (पृथ्वी के सुर्य की परिक्रमा करना)

*मानवों का एक वर्ष = देवताओं का एक दिन जिसे दिव्य दिन कहते हैं।

*1 वर्ष = 1 संवत्सर=1 अब्द
*10 अब्द = 1 दशाब्द
*100 अब्द = शताब्द

*360 अब्द  = 1 दिव्य वर्ष अर्थात देवताओं का 1 वर्ष।

* 12,000 दिव्य वर्ष = एक महायुग (चारों युगों को मिलाकर एक महायुग) =43,20,000 मानव वर्ष

सतयुग : 4800 देवता वर्ष ×360(17,28,000मानव वर्ष)
त्रेतायुग : 3600 देवता वर्ष× 360(12,96000मानव वर्ष)
द्वापरयुग : 2400 देवता वर्ष×360 (8,64000मानव वर्ष)
कलियुग : 1200 देवता वर्ष×360 (4,32000 मानव वर्ष)

* 71 महायुग = 1 मन्वंतर
* चौदह मन्वंतर = एक कल्प।
* एक कल्प = ब्रह्मा का एक दिन। (ब्रह्मा का एक दिन बीतने के बाद महाप्रलय होती है और फिर इतनी ही लंबी रात्रि होती है)। इस दिन और रात्रि के आकलन से उनकी आयु 100 वर्ष होती है। उनकी आधी आयु निकल चुकी है और शेष में से यह प्रथम कल्प है।
* ब्रह्मा का वर्ष यानी 31 खरब 10 अरब 40 करोड़ वर्ष। ब्रह्मा की 100 वर्ष की आयु अथवा ब्रह्मांड की आयु- 31 नील 10 अरब 40 अरब वर्ष (31,10,40,00,00,00,000 वर्ष)

👉अव एक अहोरात्र (24 घंटे) पृथ्वी आपनी धुरी पर घुमती है।
👉एक वर्ष ( 365 दिन) मे जैसे पृथ्वी सुर्य की चारो तरफ घुमती है।

👉ठीक उसी तरह सुर्य भी सारे ग्रहो के साथ आकाशगंगा नाम के निहारिका की (पुराणो में आकाश गंगा शिशुमार चक्र नाम से प्रसिद्ध है) परिक्रमा कर रहै।

👉सिर्फ हमारे सुर्य ही नही और भी सुर्य आपने ग्रह मण्डल को लेकर इसकी परिक्रमा करते है । वेद के अनुसार हमारे आकाश गंगा में (शिशुमार चक्र में) 7 सुर्य है।

 और मेरु रेखा में कश्यप नाम के एक वहुत वड़ा सुर्य है जिनको शिशुमार चक्र परिक्रमा करते है। हमारे सप्तर्षि मंडल केे ऋषि कश्यप है।

सात सुर्य

1)आरोग
2)भाज
3)पटर
4)पतंग
5)स्वर्णर
6)ज्योतिषीमान
7)विभास

ऋषि कश्यप (मेरुरेखा में अवस्थित सप्तर्षि केे एक ऋषि)

हमारे सुर्य का नाम आरोग है।

रुको रुको अभी भी वाकी है सुर्य को आकाश गंगा(शिशुमार चक्र) की एक चक्कर लगाने मे जितना समय लगता है उसे ही एक मनवंतर काल कहते है (4 युग मिलाकर  1 दिव्य युग 71 दिव्य युग मे एक मनवंतर पहले वता चुकी ) ये करने मे
4320000×71=30,84,48000 मानव वर्ष लगते है।
आधुनिक विज्ञान इसे मानते है और उनके हिसाब से 25,00,00000 मानव वर्ष समय लगता है।

आधुनिक विज्ञान इस से आगे नही जा पाये।

मगर हमारे ऋषिऔ ने खोज कर लिये

अभी भी वाकि है👉आकाशगंगा के जैसा कई  निहारिका  है जिसके अन्दर वहुतो सुर्य मण्डल और पृथ्वी जैसे ग्रह है।

ये सारी निहारिका सप्त ऋषि के एक ऋषि मंडल की परिक्रमा कर रहे। जिसके लिए एक कल्प (14 मन्वंतर मे एक कल्प) लग जाते हे। समय 4320000000 मानव वर्ष

ऐसे सात ऋषि  है अंतरिक्ष में (सबके शिशुमार चक्र जैसा कई चक्र है जो आपने अंदर अपना अनेको सुर्य और उसके ग्रहो को लिये है) ये 7 ऋषिगण ध्रुव मण्डल की परिक्रमा कर रहे।
इस परिक्रमा में ब्रह्मा की 100 वर्ष (31,10,40,00,00,00,000 मानव वर्ष )समय लगता है

ये वात तब की है जब भगवान ने ध्रुव जी को ये मण्डल प्रदान करते हुए कहे थे सारे ब्रह्माण्ड लय होने पर भी ध्रुव लोक नष्ट नही होगा तुम मेरे गोद मे सदा सुरक्षित रहो गे।
सप्त ॠषि आपने ग्रह नक्षत्र के साथ सदैव तुमको प्रदक्षिणा करेंगे ।(भागवतपुराण )

अतएव आपको पता चला हमारे सुर्य का नाम आरोग है जो  और 6 सुर्य केे साथ शिशुमार चक्र नाम केे निहारिका को परिक्रमण कर रहे और हमारे निहारिका कश्यप नामक सप्तर्षि मंडल केे एक वड़े नक्षत्र के चक्कर काट रहे है और सप्तर्षि ध्रुव मंडल की परिक्रमण कर रहे।

सबसे अद्भुत वात ये हे ये सव परस्पर आकर्षण वल के प्रभाव से एक नियम अनुसार आपने में निर्दिष्ट दुरी रख कर युगो से प्ररिक्रमा करके चल रहे।

क्या अब भी भगवान पर विश्वास नही?
क्या अब भी सोच रहे है इये सिस्टम आपने आप बना है?

#कृष्णप्रिया

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