सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय पिता 🙏
श्लोक-
पद्मपुराण सृष्टिखंड (47/11) में कहा गया है-
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्।।
अर्थात: माता सर्वतीर्थ मयी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं इसलिए सभी प्रकार से यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए।
जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।
ऐसा मनोरम दृश्य केवल भारत में देखने को मिलता है ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
कोई कमेंट न करे केवल माता पिता के छवि भेजे।🙏
#कृष्णप्रिया
पद्मपुराण सृष्टिखंड (47/11) में कहा गया है-
सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता।
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अर्थात: माता सर्वतीर्थ मयी और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप हैं इसलिए सभी प्रकार से यत्नपूर्वक माता-पिता का पूजन करना चाहिए।
जो माता-पिता की प्रदक्षिणा करता है, उसके द्वारा सातों द्वीपों से युक्त पृथ्वी की परिक्रमा हो जाती है। माता-पिता अपनी संतान के लिए जो क्लेश सहन करते हैं, उसके बदले पुत्र यदि सौ वर्ष माता-पिता की सेवा करे, तब भी वह इनसे उऋण नहीं हो सकता।
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