हमारे मुल सनातन धर्मशास्त्र और विज्ञान

हमारे मूल सनातन धर्मशास्त्र और विज्ञान
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सब पूछते है कितने ग्रंथ है सनातन साहित्य में।
आज सब जानकारी दे रहे। सब विषयो पर ग्रंथ था।

•शिल्प(इंजीनियरिंग, कृषिशिल्प भी इसमे आता है),
•विज्ञान(सायेन्स ),
•बाणिज्य(व्यवसाय),
•राष्ट्र शक्ति(सैनिक)

👉अब शूद्र शिल्पी,👉 ज्ञान विज्ञान ब्राह्मण,👉 वाणिज्य वैश्य और 👉राष्ट्रीय शक्ति क्षत्रिय को प्रदान किया गया।

पहले ये वंश पारम्परिक पद्धति था कारण शिशु अपने पूर्वजो से ही ये कला के शिक्षा लेते थे।
परंतु कोई वाध्यतामुलक नही था👉 ब्राह्मण भी युद्ध विद्या पर रुचि लेते रहे( जैसे शुक्राचार्य जी, अगस्त्य जी युद्ध में वारुद और विद्युत का व्यवहार शुरू किये)
👉क्षत्रिय ज्ञान विज्ञान में रुचि रखने लगे(विश्वामित्र जी)
👉शुद्र भी ज्ञान विज्ञान में पारदर्शी वने(शृंगी ऋषि, सत्यकाम)
👉और ब्राह्मण भी शिल्प में रुचि लेते थे(भृगु ऋषि के शिल्प संहिता)

आज अज्ञानता के कारण ही लोग इनमे विभेद करते है।
कुछ स्वार्थ चरितार्थ करने के लिए भी विभेद उतपन्न करते है। ऐसो को समझाना भी कठीन होता है। अनर्गल प्रलाप करते है। शास्त्रोक्त मन्त्र के उदाहरण देने पर निर्लज्ज की भाती हंसते है। हमे अज्ञानता के वंधन से वाहर आकर स्वयं अध्ययन करना होगा।

प्राचीन शास्त्र
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१ – ( वेद ) वेद संहिताएं=ऋग्वेद • यजुर्वेद • सामवेद • अथर्ववेद

खण्ड = संहिता(शिल्प,चिकित्सा,विज्ञान) • ब्राह्मण • अरण्यक • उपनिषद

उपवेद =आयुर्वेद (चिकित्सा)• धनुर्वेद • गंधर्ववेद • स्थापत्यवेद,(स्थापत्य)

वेदांग = शिक्षा • छंद · व्याकरण • निरुक्त · कल्प · ज्योतिष

( वेद पड़ ने से पहले इन विषयो पर अध्ययन आवश्यक होता था।

•शिक्षा -धर्म कर्तव्य का ज्ञान है।
•छंद- संगीत का लय और उच्चारण से संबंधित है (शव्द मंत्र सुर के साथ गायन),
•व्याकरण -अक्षर,धातु,काल, शब्दावली शिक्षा पर आधारित है।
•निरुक्त -पदार्थ का ज्ञान (पंच भुत, पंच वायु, ब्रह्मांड के अन्य पदार्थ)
•कल्प -भी कर्तव्य और विज्ञान पर आधारित है।
•ज्योतिष- खगोलशास्त्र पर आधारित है)

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२ – पुराण=
(वैष्णव पुराण )mgv
विष्णु पुराण • मत्स्य पुराण • भागवत पुराण • गरुड़ पुराण • कूर्म पुराण • वाराह पुर ય઼઼॥॥।ाण • कल्कि पुराण

(शैव पुराण )
स्कन्द पुराण • वायु पुराण • अग्नि पुराण • लिङ्ग पुराण • नारद पुराण • पद्म पुराण

(ब्रह्मा पुराण )
ब्रह्म पुराण • ब्रह्माण्ड पुराण • ब्रह्म वैवर्त पुराण • मार्कण्डेय पुराण • भविष्य पुराण • वामन पुराण
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३ – उपनिषद=
(ॠग्वेदीय उपनिषद )
अक्षमालिक • आत्मबोध • ऐत्तरेय • कौषीतकी • नादबिन्दुप • निर्वाण • बहवृच • मृदगल • राधा • सौभाग्यलक्ष्मी

(शुक्ल यजु उपनिषद )
अद्वैतार • अध्यात्म • ईशवास्य • जाबालि • तुरीयातीत • त्रिशिखिब्राह्मण • निरालंब • परमहंस • पैंगल • बृहदारण्यक • भिक्षुक • मंत्रिक • याज्ञवल्क्य • शाट्यायनीय • शिवसंकल्प • सुबाल • हंस

(कृष्ण यजु उपनिषद )
अक्षि • अमृतनाद • कठ • कठरुद्र • कलिसंतरण • कैवल्य • कालाग्निरुद्र • चाक्षुष • क्षुरीक • तैत्तिरीय • दक्षिणामूर्ति • ध्यानबिन्दु • नारायण • रूद्रहृदय • शारीरिक • शुकरहस्य • श्वेताश्वतर

(सामवेदीय उपनिषद )
आरूणक • केन • कुण्डिक • छान्दोग्य • जाबालि • जाबालदर्शन • महा • मैत्रेय्युग • योगचूडा • रूद्राक्षजाबाल • वज्रसूचिक • सन्यास • सावित्री

(अथर्ववेदीय उपनिषद )
अथर्वशिर • गणपति • गोपालपूर्वतापनीय • नृसिंहोत्तरतापनीय • नारदपरिव्राजक • परब्रह्म • प्रश्न • महावाक्य • माण्डूक्य • मुण्डक • श्रीरामपूर्वतापनीय • शाण्डिल्य • सीता • सूर्य
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४ – इतिहास: = रामायण • महाभारत
भगवद गीता • मनुस्मृति • अर्थशास्त्र • आगम तंत्र • पंचरात्र • सूत्र • स्तोत्र • धर्मशास्त्र • रामचरितमानस • योग वशिष्ठ सूत्
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५ – दर्शन शास्त्र:= न्याय दर्शन , वैशेषिक दर्शन , योग दर्शन, मीमांसा दर्शन, ब्रह्मसुत्र

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🌻 ऋग्वेद 4/33/6 🌻

सत्यमूचुर्नर एवा हि चक्रु: ।

नरो (पुरुषो) ने सत्यका ही प्रतिपादन किया है ओर वैसा ही आचरण किया है।

#कृष्णप्रिया

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