पुर्व अहिछत्र मंदिर बरेली

हम सभी प्राचीन मिस्र के पिरामिड के बारे में जानते है ।लेकिन हम लोगों में से कितने लोगों को यह पता है कि , प्राचीन भारत में भी 3000 साल पूर्व इस प्रकार के मंदिर थे । जो पिरामिडों जैसे विशाल और भव्य थे ।
      आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, बरेली  पूर्व अहिच्छत्र के रूप में जाना जाता था। महाभारत काल में राजा ध्रुपद के राज्य में पांचाल को राजधानी के रूप में उल्लेख किया गया था । अर्जुन ने इस राज्य पर आक्रमण कर यह राज्य आचार्य द्रोण को सौंपा था । राजा द्रुपद हर के बाद पांचाल को काम्पिल्य में शिफ़्ट किया था।
      बरेली की खुदाई ने बड़े पिरामिड के रूप में एक विशाल प्राचीन मंदिर को खोज निकाला गया है । यह मंदिर ध्वस्त अवस्था में भी अपनी विशालता को बयां कर रहा है । आज इसकी दीवारों की ऊंचाई 22 मीटर है । कल्पना कीजिए उस समय कितना भव्य मंदिर रहा होगा।
   यह इलाका 187 हेक्टेयर में फैला हुआ है जो ,उस समय के दौरान युनान ओर मिस्र में भी  इतना अधिक विस्तार निर्माण कार्य नही था । सबसे ज्यादा निर्माण कार्य  143 हेक्टेयर इलाके में देखा गया है ।
   यह भारत का सर्वाधिक प्राचीन मंदिर का भग्नावेश है ।
जो 4000 साल प्राचीन काल का है । इसके दीवारों पर लाल रंग के  चित्रीत बर्तनों से अलंकरण किया गया था ।
" मूर्तिभंजक प्रवर्तियो "तक यह साइट  3000 साल तक बची रही थी । कई हिन्दू दैवी देवताओं की मूर्तियां यहां पर मिली है और कई ज्यादा महत्वपूर्ण मूर्तियों को आज विदेशी संग्रहालय में देखा जा सकता है ।
       मकर पर खड़ी गंगा की मूर्ति भी है । दूसरी तरफ भगवान शिव का कीर्तिरुंजय दृश्य का चित्रण किया गया है ।
साभारः रुही पाठक

--#राज_सिंह--

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