छत्रपति शिवाजी के शाइस्ता खान पर सार्जिकल स्ट्राइक

सर्जिकल स्ट्राइक

छत्र पति शिवाजी महाराज का शाइस्ता खान पर रात में ""सर्जिकल स्ट्राइक"

 औरंगजेब ने  1559  में अपनी दूसरी ताजपोशी। के बाद अपने मामा शाइस्ता खान को दक्षिण के वायसराय बना कर भेज दिया था।  शाइस्ता खान को उद्देश्य था कि वह शिवाजी को मारकर मराठो के साम्रज्य को अधीन करे ।
शाइस्ता पुणे ओर चाकन के युद्ध के बाद 1661 63 में , शिवाजी महाराज के विरुद्ध काफ़ी सैन्य शक्ति भेजी। , जन्मे कुछ को शिवाजी महाराज ने पछाड़ दिया और कुछ शिवाजी के सरदारों को हरा देती है ।इस सारे अभियान में शिवाजी महाराज के आधे से ज़्यादा राज्य को नुकसान पहुंचा।
शिवाजी महाराज एक ऐसा तरीका सोचने लगे जिससे वे शाइस्ता खान को सबक सिखा सके ।
शिवाजी महाराज 5 अप्रेल 1663 की रात को शाइस्ता खान के सैनिकों के डेरे पर उसके कमरे के बिल्कुल नज़दीक जाकर हमला कर देते है । शाइस्ता खान दक्षिण छोड़कर भाग जाता हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक

शाइस्ता खान अप्रेल1663 में पुणे के लाल महल में रुका हुआ था। महल के अन्य कमरों में एक लाख से ज़्यादा सेनाएं डेरा डाले हुए थी ।
लालमहल में शिवाजी महाराज का बचपन गुजरा था , शिवाजी महाराज  महल के कोने कोने से वाकिफ थे ।
पुणे से सीधी में 16 किलोमीटर का फासला था शिवाजी महाराज सीधी के सिंहगढ़ में 5 अप्रैल1663 में अपने 400 वीर मराठो सेनिको के साथ , ओर बाबा जी बापू , चिमना जी बापू के साथ रुके हुए थे । लालमहल पहुंच कर शिवाजी महाराज जी ने एक कोने में कुछ समय आराम किया। आधी रात के बाद , शाइस्ता खान के कमरे के नजदीक वाले कमरे में पहुंचे ,
मुग़लिया सेना रोज़ा खोल कर आराम कर रही थी , शिवाजी दबे पांव उस कमरे की दीवार के उस पार पहुंच गए जिस दीवार के दूसरी तरफ शाइस्ता खान अपनी बीबीयों के साथ आराम कर रहा था ।
इस दीवार में एक दरवाजा था, जो गारे ईंट से बंद कर दिया था , शिवाजी महाराज जी के सैनिकों ने दरवाजे को धीरे धीरे से तोड़ना आरम्भ किया , ओर इतना बड़ा छेद बना दिया कि आदमी उसमे जा  सके , सबसे पहले शिवाजी महाराज ओर चिमना जी बापू कमरे में दाखिल हुए लपक कर शिवाजी महाराज शाइस्ता खान को बिस्तर में ही धरदबोचा , उसकी बीबियों ने शोर मचाया शाइस्ता खान जग गया और ,शिवाजी महाराज हमला करे उसके पहले ही खिड़की की ओर भागा , शिवाजी ने सिर पर तलवार से वार किया , लेकिन शाइस्ता खान का हाथ बीज में आगया ओर गर्दन बच गयी किंतु उंगली कट गई।
उसी समय हम की रखैलों ने रोशनी बुझा दी । मराठा सेनिको ने अन्धाधुन्ध तलवारें चलाई ।

शिवाजी महाराज के बाकी सैनिक जो बाबा जी बापू के आधीन थे , हार्म के बाहर के पहरेदारों को मौत के घाट उतार दिया, उसके बाद बाबा जी बापू दूसरे कमरे में जहाँ बाजे रखे थे ,उन्हें बजाने लगे , ताकि हम में हो रहे युद्ध की खबर बहार ना जा पाए ,  किन्तु हरम में शोर शराबा ज्यादा था , बहार के सेनिको को मालूम हुआ कि शाइस्ता खान के कमरे में शिवाजी ने हमला बोल दिया , सबसे पहले शाइस्ता खान का पुत्र अबुल फतह दौड़ कर आया उसने तीन मराठो सेनिको को  भी मर डाला , किन्तु ओर मराठा सेनिको ने उसे घेर कर मार डाला , एक मुगल सैनिक रस्सी से लटक कर हम तक पहुंचा , लेकिन सैनिक कुछ कर पाता उसके पहले ही मार दिया गया ।
जब शिवाजी महाराज को भनक लग गयी कि बाहर मुग़लिया सेनिको को पता चल गया , तो शिवाजी महाराज अपने सेनिको के साथ वापस लौट गए । मुग़लिया सेनिको को भरम में रखने के लिए पेड़ो पर मशाले बांध दी , ताकि वे समझे कि शिवाजी महाराज  अभी महल के ही है और उनका पीछा नहीं करे ।

इस हमले को आज की भाषा मे हम " सर्जिकल स्ट्राइक"का नाम दे सकते है । इस हमले में 6 मराठा सैनिक मारे गए , 40 जख्मी हुए ।
जबकी शाइस्ता खान भाग गया उसकी उंगलियां कट गई और उसका पुत्र मारा गया , ओर कयी सैनिक मारे गए
प्रख्यात इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने कहा"" इस आक्रमण मैं जो साहस और पराक्रम मराठा वीरो ने दिखाई उसके परिणामस्वरूप शिवाजी महाराज का सम्मान अतत्यधिक बड़ गया ।
और शिवाजी महाराज के बारे में यह प्रसिद्ध हो गया कि शिवाजी महाराज कहीं भी , किसी भी जगह , ओर कोई भी परिस्थिति में खतरनाक हमला करने में माहिर है ।
औरंगजेब भी हैरान ओर परेशान हो गया था , पूरे भारत मे इस अचानक हमले की प्रतिक्रिया हो रही थी।

साहिल कुमार जी के लेख से🙏

#कृष्णप्रिया

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